एक सेठ और सेठानी रोज सत्संग में जाते थे

एक सेठ और सेठानी रोज सत्संग में जाते थे। सेठजी के एक घर एक पिंजरे में तोता पाला हुआ था। तोता एक दिन पूछता हैं कि सेठजी, आप रोज कहाँ जाते है। सेठजी बोले कि सत्संग में ज्ञान सुनने जाते है। तोता कहता है, सेठजी संत महात्मा से एक बात

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तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते

मैं अपने एक मित्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए दिल्ली के पासपोर्ट ऑफिस गया था। उन दिनों इंटरनेट पर फार्म भरने की सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालों का बोलबाला था और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्ट के फार्म बेचने से लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवाने

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अपनी बेटी की हर इच्छा जरूर पूरी करें

पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई। “किस भाव से दिए भाई?” पापा नें सवाल् किया। “10 रूपये के 8 दिए हैं। गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे इतने महँगे हो गये है जब वे खाया करते थे

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मम्मी पापा 11 बजे की गाड़ी से आ रहे है

फ़ोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फ़ोन की घंटी बजती ही जा रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने

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एक फकीर हुआ, अगस्तीन

एक फकीर हुआ, अगस्तीन। कोई तीस वर्षों से परमात्मा की खोज में था। भूखा और प्यासा, रोता और चिल्लाता और प्रार्थना करता। एक क्षण का विश्राम न लेता। जीवन का कोई भरोसा नहीं है। परमात्मा को पा लेना है। तो सब भांति के उपाय उसने किए। बूढ़ा हो गया था, थक

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मां का तोहफा

एक दंपत्ती दिवाली की खरीदारी करने को हड़बड़ी में था! पति ने पत्नी से कहा- जल्दी करो मेरे पास” टाईम” नहीं है… कह कर रूम से बाहर निकल गया , तभी बाहर लॉन मे बैठी “माँ” पर नजर पड़ी. कुछ सोचते हुए वापिस रूम में आया।….शालू तुमने माँ से भी पूछा

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मां के अमर बलिदान की कहानी

पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था. लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि “उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी

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कहानी अहंकार की

कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा. स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी। कालीदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही

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एक गरीब बच्चे की मेहनत

लगभग दस साल का अख़बार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा है। (उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन – बाहर आकर पूछी “क्या है ? ” बालक – “आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं ?” मालकिन – नहीं, हमें नहीं करवाना।” बालक –

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अमिताभ बच्चन की जुबानी

अमिताभ बच्चन कहते हैं … “अपने करियर के चरम पर, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था।  मेरे बगल वाली सीट पे एक साधारण से सज्जन व्यक्ति बैठे थे, जिसने एक साधारण शर्ट और पैंट पहन रखी थी। वह मध्यम वर्ग का लग रहा था, और बेहद शिक्षित

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