फल वाली पर कृपा

बालकृष्ण भवन मे अकेले खेल रहे थे। भगवान ने देखा की उसके द्वार पर कोई फलवाली फल बेच रही है। और आवाज लगते हुए जा रही है कोई फल ले लो री ! कोई फल ले लो री। भगवान मंद मंद मुस्कुराते हुए सोचने लगे, कि सभी को फल देने वाला तो

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भगवान शंकर – योग के विश्व गुरु

योगविद्या का उद्भव हजारों वर्ष पूर्व हुआ , योग शिक्षा के अनुसार ” भगवान शिव ” को ही प्रथम योगी तथा आदिगुरु के रूप में देखा जाता है। कई हजार साल पहले हिमालय में कांतिसरोवर झील के किनारे पर अदियोगी ने अपने गहरे ज्ञान को पौराणिक सप्तऋिषियों को प्रदान किया।

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जगन्नाथ भगवान की कृपा

क्या आप जानते हैं कि श्री जगन्नाथ धाम (पुरी) में भगवान् के श्री विग्रह का स्वरूप बड़ी-बड़ी आँखों वाला क्यों है?इसके मूल में भगवान् के प्रगाढ़ प्रेम को प्रकट करने वाली एक अद्भुत गाथा है। एक बार द्वारिका में रुक्मणी आदि रानियों ने माता रोहिणी से प्रार्थना की कि वे श्रीकृष्ण

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भगवान का शुक्रिया

एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके

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ईश्वर का सहारा

एक राजा था जिसके कोई पुत्र नहीं था | राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाये बैठा था लेकिन उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई उसे सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा तांत्रिकों की तरफ़ से राजा को सुझाव मिला कि यदि किसी बच्चे की बलि दे

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केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे

जानिए रामायण का एक अनजान सत्य… केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे.. क्या कारण था ?..पढ़िये पूरी कथा हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है। लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी। लक्ष्मणजी की कथा के बिना श्री रामकथा पूर्ण नहीं है। अगस्त्य मुनि अयोध्या

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शबरी का राम के प्रति प्यार

शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?” राम गंभीर हुए। कहा, “भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी… अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण चला भी कर सकता है। राम

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हे कन्हैया मैंने तेरा क्या बिगाड़ा

एक औरत रोटी बनाते बनाते “ॐ नमो भगवते वासूदेवाय ।। का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही…। एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ मे दर्दनाक चीख। कलेजा धक से रह गया जब आंगन

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मातृ और पितृ भक्त श्रवण कुमार

श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। ये कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते थे । बहुत समय पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता-पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता-पिता को

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अनजानें कर्म का फल

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था । राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था । उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी । तब पँजों में दबे

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