निश्‍चित ही पाप से तो मुक्‍त होना है

निश्‍चित ही पाप से तो मुक्‍त होना है। मैंने कहा, पाप वह, जो बाहर ले जाये। मैंने कहां पूण्‍य जो भीतर ले जाये। लेकिन बाहर से तो मुक्‍त होना ही है, भीतर से भी मुक्त होना है। पहले बाहर से मुक्त हो लो, तब तत्क्षण तुम पाओगे कि जिसे हमने

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कॉलेज में एक बरगद का पेड़ – भाग – 2

मामा जी इस बात से थोडा परेशान हुए और बोले “अब क्या करें भईया? अब कैसे क्या होगा?” “थोडा समय दो अभी बतातें हैं क्या करना है और क्या होगा।” उन्होंने खुद पर विश्वास रखते हुए मामा जी से कहा और वार्ड के दरवाज़े पर ही बैठ गए। आने जाने वाले

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कॉलेज में एक बरगद का पेड़ – भाग – 1

दोस्तों हर किसी के जीवन में कोई न कोई एक ऐसी घटना जरुर होती है जिसे वो अपने जीवन में सबसे बुरा समय मानता है। लेकिन किसी न किसी रूप में कोई न कोई हमेशा उन परिस्थितियों में मदद के लिए पहुँच जाता है। मैं आज आप लोगों के सामने

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एक अजीब लड़की, जो एक प्रेत को दिल दे बैठी- भाग – 2

पिछली कहानी में आपने जाना था रमकलिया को। एक षोडशी, एक ऐसी किशोरी जो बिंदास स्वभाव की थी, निडरता की महारानी थी। यहाँ पिछली कहानी के अंतिम पैराग्राफ को देना उचित प्रतीत हो रहा है- {एक दिन सूर्य डूबने को थे। चरवाहे अपने गाय-भैंस, बकरियों को हांकते हुए गाँव की

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एक अजीब लड़की, जो एक प्रेत को दिल दे बैठी- भाग -1

रमकलिया, जी हाँ, यही तो नाम था उस लड़की का। सोलह वर्ष की रमकलिया अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी। उसके माँ-बाप उसका बहुत ही ख्याल रखते थे और उसकी हर माँग पूरी करते थे। अरे यहाँ तक कि, हमारे गाँव-जवार के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि गाँव क्या पूरे जवार

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पहलवान का भोग – भाग -3

एक महीने बाद लाल जी के ही गाँव में शोर हुआ की “पहलवान ने किसी को पकड़ लिया है। बेचारा जिन्दगी से बहुत परेशान था और अब मरने के बाद लोगो को परेशान कर रहा है।” जिसको पहलवान ने पकड़ा था वो आदमी गाँव के एक चौक पर जा बैठा

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पहलवान का भोग – भाग -2

पहले तो लोगों को शक हुआ की कहीं लाल जी नाम के आदमी ने ही तो नहीं भेजा है इसे तंत्र मंत्र करके। लेकिन इस बात की पुष्टि के लिए समस्या के समाधान के लिए सबने लाल जी से मिलने की ठान ली। कुछ व्यक्ति उस आदमी के घर के

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पहलवान का भोग – भाग -1

दोस्तों भूत प्रेत से सम्बंधित घटनाओं में ज्यादातर घटनाये रोंगटे खड़ी कर देती हैं। तो कुछ इतनी मार्मिक होती हैं के दिल भर आता है। लेकिन मेरे जीवन से जुड़ी एक घटना ऐसी भी है जिसे याद करके हंसी आ जाती है। जाने अनजाने में मेरी मम्मी के मामा जी

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माँ का हो साथ तो भूत-प्रेत न भटकें पास

रात के अंधेरे में मैकू अपनी कार को दौड़ाए जा रहा था। मैकू को खुद कार चलाना और दूर-दूर की यात्राएँ करना बहुत ही पसंद था। मैकू की बगल वाली सीट पर उसका दोस्त रमेश बैठा था। वे दोनों मुंबई से मैहर भगवती के दर्शन के लिए जा रहे थे।

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कादेरी भूत और उसका परिवार

1930 की बात है। एक शाम तीन बजे हम मानकुलम विश्राम घर पहुंचे। मेरे साथ जाफना केन्‍द्रीय कालेज के मेरे अध्‍यापक साथी एस0 जी0 मान और सैमुअल जैकब थे। हमारी योजना जंगल में शिकार करने की थी। हमारे गाइड चिनइया हमें जंगल के बारे में ता रहा था। चिनइया के

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