कल जब मैं अपनी दीदी से मिलने गया था तो उन्होंने बताया की उस घटना का कारण क्या था और समाधान कैसे हुआ?
इस घटना के बारे में मैंने रेंटी गुरु जी से भी बात की थी उन्होंने बताया था की “ये एक स्थानगत भूत है, इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं! ये नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जब तक इसको छेड़ा न जाए! ये इस स्थान से जुड़ा हुआ है, यही कारण है! मुक्त नहीं हो पाया है बेचारा!” बात उन्होंने सच कही थी।
दीदी के ससुर जी ने किसी तांत्रिक को बुलवाया था मार्कंडेय मंदिर के पास से जो की कुरुक्षेत्र से कुछ घंटे की दूरी पर ही है। उस तांत्रिक ने उस स्थान और उस घर का निरिक्षण किया।
निरिक्षण करने के बाद उसने बताया की घर के नीचे एक मजार है। उनसे अपनी उपस्थिति इसलिए प्रत्यक्ष की ताकि आप लोग ये जान पायें की यहाँ रहने के लिए आपको उसकी कुछ शर्ते माननी पड़ेंगी। ये आत्मा कोई प्रेत या बुरी आत्मा नहीं है। ये कोई सिद्ध पुरुष है, वो ये चाहता है के आप यहाँ रहें तो मगर इस घर में न कभी कोई बलि दें और न ही कभी शराब का सेवन करें। वरना इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।
और हर ब्रहस्पतिवार को कुछ गुलाब और मिठाई का भोग दें। कभी कोई परेशानी नहीं होगी घर में, और न किसी के द्वारा किये गए तांत्रिक द्वन्द का असर होगा यहाँ।
दीदी के ससुर ने सारी शर्तें मान ली और जेसा कहा गया वो वेसे ही हर शर्त का पालन करते है। और वहां पर मौजूद उस सिद्ध पुरुष का रोज़ धन्यवाद करके ही सोते हैं।
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